प्यारे पाठको, मेरी यादों के माध्यम से हमने अब तक देखा की, मैने एस एस सी बोर्ड की परिक्षा अच्छी तरह से पास कर लियी थी. इस कारण मेरे पिताजी और सब लोग उस वक्त खुश हुये थे. मेरा काॅन्फिडेन्स भी बढते चला था. मेरे पिताजी ने मुझे नयी हरक्युलिस सायकिल खरिद कर दियी थी. मेरे बडे भाई ने भी प्रि युनिव्हर्सिटी पास कर लियी थी. यहां से ही मेरी काॅलेज की पढाई शुरू हो गयी थी. उस समय को मैने बडे भाई के काॅलेज मे ही प्रि युनिव्हर्सिटी के क्लास मे दाखिला मिला लिया था. मै मेरी सायकिल से और बडे भाई उनके सायकिल पर गाँव से काॅलेज आते जाते रहते थे. उस वक्त नौकरी मिलाने के लिये इंगलिश मराठी टायपिंग की परिक्षाये पास होना आवश्यक होता था. सरकारी नोकरी का आकर्षण मुझे बहूत ही था. इस कारण मैने इंगलिस मराठी टायपिंग का क्लास लगाना ही उचित समझा था. इस तरह एक ही दिन मे मै दोनो जगह पर पढने जाता था. सुबह ग्यारह तक काॅलेज, उसके बाद एक बजे तक टायपिंग क्लासेस करने के बाद, मै दो ढाई तक घर पहूँचते रहता था. फिर उसके बाद घरके पेंडींग काम निपटाने पडते थे. इस तरह की मेरी दिनचर्या उस समय की हो गयी थी.
हमारे समय के दौर मे सरकारी नोकरी प्राप्त करनेके लिये हर बेरोजगार को एम्प्लाॅयमेंट एक्सेंज मे नाम दर्ज कराना आवश्यक होता था. मैने भी नोकरी के लिये उस समय एक्सेंज मे नाम दर्ज करा दिया था. हर बेरोजगार को कोई ना कोई ट्रेनिंग पास होना भी आवश्यक होता था. उस समय मेरे पास किसी भी टाईप का ट्रेनिंग नही था. सो मैने नोकरी पाने के उद्देश से टायपिंग शिकना ही उचित समझा था.
काॅलेज जाने के बहाने से सायकिल पर घुमने से मेरा परिचय अनेक लोगोसे होता जा रहा था. गाँव मे और पढाई के जगह पर मेरे बहुत से दोस्त मित्र बनते जा रहे थे. मेरा काॅन्फिडेन्स और जनरल नाॅलेज बढते जा रहा था. मेरा सायकलिंग करना बढते जा रहा था. सायकिल से ही दोस्तो के साथमे मैने जिले के शहर और बहिरम यात्रा का टूर कर लिया था. उसी तरह दोस्त मंडली के साथ शकुंतला रेलमे बैठकर जिलेके शहर की रपेट भी मैने लगा लियी थी. यह सब करके, साथ ही मैने उस वर्ष की प्रि युनिव्हर्सिटी पास कर लियी थी. इंग्लिश टायपिंग की दो परिक्षाये और मराठी टायपिंग की एक परिक्षा मैने अच्छे श्रेणी से पास कर लियी थी. अब मेरा बढा हुआ स्टेटस मुझे साफ तौर पर दिख रहा था. उसी समय, मेरा टायपिंग परिक्षाओ का निकाल देखकर टायपिंग इंस्टिट्युट के प्रोपायटर ने मुझे उनके यहां इन्स्ट्रक्टर के पद पर रख लिया था. मैने भी सरकारी नोकरी मिलने की चाह मे भविष्य की सुगमता को देखकर वहां की नोकरी संभाल लियी थी. साथमे मैने आगे की टायपिंग परिक्षा के फाॅर्म भरके अगली परिक्षाये दियी थी.
उसमे भी प्राविण्य प्राप्त किया था.
मेरी दिमागी परिपक्वता दिनो दिन बढते ही जा रही थी. परंतु मेरी पर्सनालीटी मे एक बात की कमी दिख रही थी. वह थी मेरी उँचाई. उस समय मेरी उँचाई सामान्य से थोडी कम मालूम पड रही थी. मेरे दोस्त मंडली ने मुझे सुबह शाम दोनो हातो से आडी नाट को पकडकर लटकने का सुझाव दिया था. जिसका पालन मैने नियमित तौर से किया था. और ऐसा करते रहनेसे मुझे कुछ फायदा भी जरूर हुआ था.
To be continued
धन्यवाद. 🙏🙏🙏🙏🙏
श्री रामनारायणसिंह खनवे.
परसापूर. (महाराष्ट्र)
(प्यारे पाठको, एक विशेष घटना को लेकर कल हम फिर मिलेंगे.)
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