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"मैने जिना सिख लिया" (1) मेरी यादे" से जुडी जिवन की सच्ची घटनाये. भाग 1(वन)

           मेरे प्यारे मित्रो, इस धरती पर जिसने भी जन्म लिया, वह मनुष्य प्राणी उनके लाईफ को अपने अपने तरिके से ही जिते रहते है. हमारे जिवन के, दिन ब दिन बढते हुये आयु को हम पूरा कर लेते है. कोई भी इससे छुटा नही और कभी छुट भी नही सकेगा. इन बातोसे हर इन्सान जानकर भी अनजान सा बना रहता है. क्योंकी वह, इन बातो से दुःखी नही होना चाहता.             परंतु मेरी "ममेरी बडी बहन" जिसका अभी अभी दस दिन पहले स्वर्गवास हो गया, वह अनपढी रहकर भी हम सब को, "जिंदगी जिने" की सिख देकर स्वर्ग को सिधार गयी. किसी को भी उसने इन बातो की, कभी भनक भी नही आने दियी. मै जब उसके बारे मे सोचता हूँ तो, मुझे मेरे और उसके बचपन के उन दिनो की याद आने लगती है, जब उसकी उम्र  सात आठ साल की और मेरी चार पाँच की होगी. उस समय मुझे छोटी दो बहने थी. एक की उम्र तीन साल की तो दुसरी एक साल की होगी. उन दिनो मेरे घरमे बच्चों की देखभाल के लिये कोई भी बडा बुजुर्ग सहाय्यक  नही था. मेरी इस बडी ममेरी बहन की बचपन मे ही माँ गुजरने के कारण, मेरी माँ उसे अपने साथ, घर ले आयी...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 119 (एक सौ उन्नीस) :- लाखो तारें आसमान मे .....देखके दुनिया की दिवाली ... दिल मेरा चुपचाप जला ......(1987-88 के दरम्यान घटी सत्य घटनाओं पर आधारित मेरी यादें) (Part Two)

            मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 119 (एक सौ उन्नीस) :- लाखो तारें आसमान मे .....देखके दुनिया की दिवाली ... दिल मेरा चुपचाप जला ......(1987-88 के दरम्यान घटी सत्य घटनाओं पर आधारित मेरी यादें) (Part Two)             प्यारे पाठको, नमस्कार, शुभ दिपावली. पिछले भाग मे हमने देखा की, हम लोग नागपूर मे किराये का मकान ढुंडकर उसमे रहने लगे. वहाँ हमारे रिस्तेदार हमसे मिलने भी आते थे. उनमे ही एक श्रीमान "युसी"जी साहब थे. वे हमारी बेटी का रिस्ता उनके बडे बेटे डाॅक्टर से करना चाहते थे. इन बातो को लेकर हम पती पत्नी बहुत ही असमंजस मे पड गये थे. अब पढिये, आगे की रोचक घटनाओ को.            श्रीमान "युसी"जी साहब के बेटे का रिस्ता हमारे करने लायक जैसा था. सब बाते अच्छी थी. बात मेरी समझमे आ भी गयी थी. लेकीन, हमारे और हमारे बेटी के सपनो का क्या होगा ? वे तो सिर्फ  सपने ही रह जाते थे. बहूतांश लोगोंकी सोच भी यही रहती है की, "सपने कभी सच नहीं होते". उन लोगोकी सोच और हमारी सोचमे "जमिन आसमान" का अंतर आ गया था...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 118 (एक सौ अठराह) :- "लाखो.. तारे आसमान में, ... देख ..के दुनिया की दिवाली, दिल मेरा चुपचाप जला ......(1987-88 मे घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part One)

             मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 118 (एक सौ अठराह) :- "लाखो.. तारे आसमान में, ... देख ..के दुनिया की दिवाली, दिल मेरा चुपचाप जला ......(1987-88 मे घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें)  (Part One)                         प्यारे पाठको, पिछले भाग में हम ने देखा की, मेरी बडी बेटी को  "लाॅ " काॅलेज मे एडमिशन  मिल गया था.  "नक्शे" सप्लाई करने वाली कंपनी मे मुझे भी काम मिल गया था. अब हमे रहने के लिये "सेपरेट" मकान की जरूरत थी. जिसे हम ढूंड रहे थे. अब देखेंगे हम आगे की घटनाओ को  .....            प्यारे पाठको, आपको याद ही होगा की, मेरे परिवार के सदस्य और मै, गाँव से आने के बाद, ससुराल मे ही "डेरा" दाले हुये बैठे थे. रहने और भोजन पानी की व्यवस्था  पिछले "पंधरा" दिनो से ससुराल वाले ही कर रहे थे. यह स्थिति किसी भी  "स्वाभिमानी" व्यक्ति के लिये "शोभा" देने वाली निश्चित ही नहीं थी. चार, आठ दिनो के बाद, ससुराल में दिन काटना, मेरे...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 117 (एक सौ सतरा) :- मैने देखे सपनो की नजदिकीयाँ नजर मे आने लगी : (1987-88 मे घटी सत्य घटनाओं पर आधारित मेरी यादें) (Part One)

             मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 117 (एक सौ सतरा) :- मैने देखे सपनो की नजदिकीयाँ नजर मे आने लगी : (1987-88 मे घटी सत्य घटनाओं पर आधारित मेरी यादें)     (Part One)                प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हमने देखा की, हम लोग, मेडिकल डिग्री काॅलेज मे एडमिशन के लिये गये थे. लेकिन हम कुछ "अज्ञात" कारणवश मेरी बडी बेटी "एम" को उस काॅलेज मे एडमिशन नहीं दिला सके. वहाँ से हम दोनो पती पत्नी चुपचाप घर वापिस आ गये. अब देखे आगे ......            हमारी बडी बेटी "एम" एक "टॅलेंटेड और होनहार" लडकी थी. उसने शुरूसे ही अच्छे नंबर कमाये थे. तब से ही उसके उज्वल भविष्य की झलक हमे दिखने लगी थी. उसने बारहवी हायर सेकंडरी परिक्षा अच्छे नंबरो मे पास करने के बाद, हम दोनो की अधुरी इच्छाओं ने जोर पकड लिया था. मेरी पत्नी की "आंतरिक इच्छा" पढ लिखकर "डाॅक्टर" बनने की थी. लेकिन माता पिता ने उनकी शादी उम्र होने के पहले ही मेरे साथ कर दियी थी. लडकीयों की उम्र "बाल विवाह" करने जैसी ही होती थी. ...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 116 (एक सौ सोलह) :- "नया टर्न" लेते हुये नागपूर मे निकला मेरे जिवन का पहला दिन : (1987-88 के दरम्यान में घटी मेरे जिवन की सत्य घटनाये) (Part One)

            मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 116 (एक सौ सोलह) :- "नया टर्न" लेते हुये नागपूर मे निकला मेरे जिवन का पहला दिन : (1987-88 के दरम्यान में घटी मेरे जिवन की सत्य घटनाये) (Part One)                           प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हमने देखा की, मै परिवार को साथ लिये नागपूर मे चाचाजी के घर पहुँच गया था. जहाँ रातमे  भोजन पानी करने के बाद हम लोगोंको मुकाम करने पडा. क्योंकी ससुराल के  घर पर हमे "ताला" देखने को  मिला था. और अब देखेंगे हम, आगे की घटनाये .....            प्यारे पाठको, पिछले भाग मे मैने आपको बताया था की, चाचाजी के घर पर "सुतक" चलते हुये भी, हम सब लोगो को वहाँ पर  भोजन पानी लेना ही पडा था. उसके बाद मेरी पत्नी और बच्चे, थकान की वजह से जल्दी ही गहरी निंद सो गये थे. लेकिन मुझे निंद आने का नाम ही नही था. रह-रहकर वही गाँव परिवार के सदस्यो के बारेमे, विचारो का "कोलाहल" मेरे दिलमे "मच" सा गया था.  उससे  जान छुडाकर भागने की ...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 115 (एक सौ पंधरा) :- "बिकरम राजा पर विपदा पडी, भुँजी मच्छी डोह मे गिरी" ..... (1987-88 मे घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part Two)

            मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 115 (एक सौ पंधरा) :- "बिकरम राजा पर विपदा पडी, भुँजी मच्छी डोह मे गिरी" ..... (1987-88 मे घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें)          (Part Two)                          प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हमने देखा की, मै और मेरा परिवार नागपूर पहुँचने के बाद, हम लोग, एन केन प्रकारे चाचाजी के घर पर पहुँच गये. जहाँ पर जानेका हमारा "कतई भी" विचार नही था. नजदिकी रिस्तेदार "भाई" के घर से भी हम लोग जल्दी ही "रिटर्न" आ गये. और इसके बाद, अब हम देखेंगे  आगे की घटी घटनाये .....             प्यारे पाठको, कभी कभी हमारे जिवन मे कुछ ऐसे भी प्रसंग आते है की, उनके बारेमे हम कभी अंदाजा भी नही लगा सकते. क्योंकी हमारा "विवेक" हमे वह सब बाते करने की कभी इजाजत नही दे सकता. फिरभी दुर्भाग्य का "फेरा" बोलो या अपने ही "गलत निर्णयो" से बोलो, हमारे सामने कुछ ऐसी भी स्थितीयाँ खडी हो जाती है की, उनके सामने हम घुटने टेकने क...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 114 (एक सौ चवदा) :- "आसमान से गिरा और खजूर मे लटका" वाले किस्सो का आया मुझे अनुभव ......(1987-88 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part One)

           मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 114 (एक सौ चवदा) :- "आसमान से गिरा और खजूर मे लटका" वाले किस्सो का आया मुझे अनुभव ......(1987-88 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें)     (Part One)                         प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हमने देखा की, नागपूर जाने के लिये बच्चों को बैल गाडी मे बिठाकर, हम लोग रात के तिन बजे ही निकल पडे. नजदिक वाले शहर "पीडी" से सुबह मे साडे पाँच की नागपूर जानेवाली बस थी. अभी दिन निकलने को काफी समय बाकी था. रास्ते मे जिधर देखो उधर "अंधेरा भूक" दिखता था. गाडीवान बैलो को थोडा भी रूकने नही दे रहा था. ऊन्हे "पल्ले पर पल्ला" हकाले जा रहा था. ताकी बस छुटने के पहले हम लोग बस मे बैठ जाये. और सचमे गाडीवान ने हम सब को सुबह पाँच बजे ही, गाडी मे बिठा दिया. और फिर अब आगेकी घटनाये......            प्यारे पाठक, मै, मेरी हिंमत और बलबुते पर थोडा बहुत सामान और परिवार लेकर नागपूर जाने के लिये निकला. वहाँ जानेपर मुझे क्या क्...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 113 (एक सौ तेरा) :- बच्चों के भविष्य की चिंता ने मुझे शहर की तरफ दौडाया".......(1987-88 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part One)

           मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 113 (एक सौ तेरा) :-  बच्चों के भविष्य की चिंता ने मुझे शहर की तरफ दौडाया".......(1987-88 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें)     (Part One)                    प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हमने देखा की, मेरी बडी बेटी "एम" ने बारहवी कक्षा अच्छे "परसेंट" से पास कर लियी थी. उसके हायर सेकंडरी पास हो जानेसे,मुझे भी, मेरे सपनो की थोडी बहूत झलक दिखने लगी थी. उस समय, मुझे बहोतही खुशी होनेसे, मुझे जो भी कोई मिलता, उसे मै "मिठाई-पेढा" खिलाये बगैर नही रहता. कभी न मिलने वाली खुशी की वजह से ही, मेरे देखे हुये  सपनो की तरंगे भी,  फिरसे मुझे दस्तक देने लगी थी. और अब हम देखेंगे आगे की घटनाये .... .         प्यारे पाठको, भुतकाल के मेरे जिवन मे घटी "सत्य" घटनाओ को ही हम  प्रस्तुत करते आ रहे है. जैसी जैसी घटनाये घटते रही, उनको समर्पित होते हुये, कुछ समय के लिये मै भी, "भुतकालीक काया" मे प्रवेशीत हो जाता हूँ. इसी बहाने ...

मेरी यादें ( Meri Yaden ): भाग 112 ( एक सौ बारा ) :- अंधेरी रातोमें दिखी मुझे एक नन्ही सी किरण, जिसने बढाया मेरा जिनेका हौसला : ( 1986-87 मे घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part One)

मेरी यादें ( Meri Yaden ): भाग 112 ( एक सौ बारा ) :- अंधेरी रातोमें दिखी मुझे एक नन्ही सी किरण, जिसने बढाया मेरा जिनेका हौसला : ( 1986-87 मे घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें)       (Part One)                                      प्यारे   पाठको, पिछले भाग में हमने देखा की, मेरे दोनो छोटे भाईयों की शादी हो चुकी है. शादी होने के कुछ ही दिनो बाद दोनो भाईयों ने अपना अपना "घर" संभाल (बना) लिया था. जिससे मै और मेरी पत्नी को अंदर से बहूत बडी ठेस पहूँची थी. हम दोनोके और भाईयों के सोचमे "जमिन आसमान" का अंतर महसुस होने लगा था. और इसके बाद फिर  आगे क्या क्या घटनाये घटी, उनके बारेमे हम अब जानेंगे.             अब तक के प्रसंगो मे मेरे बच्चों के बारेमे का जिक्र बहूत ही कम बार आया है. घर गृहस्थी और पारिवारीक समस्याओ से "घिरा" मै, मेरे बच्चों के तरफ अब तक कुछ भी ध्यान नही दे सका था. स्कुलो मे उनकी एडमिशन करा देने के शिवाय उनकी जिम्मेदारी मै क...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 111(एक सौ ग्यारह) :- शादी के बाद, छोटे भाईयों ने सोची अपनी, अपनी .... (1985-86 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part One)

              मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 111(एक सौ ग्यारह) :- शादी के बाद, छोटे भाईयों ने सोची अपनी, अपनी .... (1985-86 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें)  (Part One)                             प्यारे पाठको, पिछले भागमे हमने देखा की, मेरे दोनो भाईयों की शादी हो गयी है. उन दोनो के साथ, मेरी साली की भी शादी हो गयी. उन तिनो शादीयों की देखरेख और खर्चा मुझे ही करना था. उसके बाद की जानकारी, मेरी यादो के माध्यम से अब हम जानेंगे.  बिचमे बिते कुछ समय के लिये, हम गृह समस्याओ के जंजाल मे थोडे बिजी होने के  कारण से हमारी यादें "जहाँ की तहाँ" धरे पडी थी. अब कहीं उन यादों के लिये समय निकल पडा, और हम आप लोगोंकी सेवामे हाजिर हो गये, आपसे बतियाने के लिये. चले तो फिर हम जायेंगे 1985-86 मे घटी सत्य घटनाओ की ओर.....             मेरे पत्नी के छोटी बहन की शादी मेरे छोटे भाई "डी" के साथ हो गयी थी. छोटा भाई "डी" बहूत ही "सिधा साधा" इंसा...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 110 (एक सौ दस) :- दोनो छोटे भाईयों की शादी मैने कैसे निपटाई ? (1985 के दरम्यान घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part Four)

           मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 110 (एक सौ दस) :- दोनो छोटे भाईयों की शादी मैने कैसे निपटाई ? (1985 के दरम्यान घटी सत्य  घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part Four)                 प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हम ने देखा की, मेरे दो भाईयों मे से एक छोटे भाई, "डी" की शादी अब निपट गयी. शादी गाँव के ही "मंगल कार्यालय" से हुयी थी. मेरे बडे भाई, "डी" भाई की बारात लेकर आये थे. जिनकी आवभगत अच्छे से करते हुये, हम ने शादी की रस्मे भी निपटाई और अब हम देखेंगे, दुसरे छोटे भाई  "एम" की शादी की यादें.               प्यारे पाठको, आपको हमने इसके पहले, मेरे "छोटे भाई और साली" की शादी का किस्सा सुनाया है. "शादी तो उन दोनो की हुयी थी, लेकिन "लोहे के चने" मुझे चबाने पडे थे. घर पर "डी"भाई के मंडप मे, थोडा भी कुछ कम पडने पर, परिवार की नाराजी आने मे देर नहीं लगती थी. उधर "साली" के तरफ, मेरी पत्नी के संबंधित रिस्तेदार थे. उसी तरह मेरे भी "प्रतिष्ठा" का सवाल था. मै तो ऐसी "कैची" मे फंस...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 109 (एक सौ नौ) :- दोनो छोटे भाईयों की शादी मैने कैसे निपटाई? (1985 के दरम्यान की घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादे) (Part Three)

              मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 109 (एक सौ नौ) :- दोनो छोटे भाईयों की शादी मैने कैसे निपटाई? (1985 के दरम्यान की घटी सत्य  घटनाओ पर आधारित मेरी यादे) (Part Three)                  प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हमने देखा की, मेरे दोनो छोटे भाईयों की शादी आगे होने वाली है.  उन दोनो की शादी करने मे हम लेट हो गये थे.  लेकिन कहते है ना, "जिसका कोई नहीं होता, उनके भगवान होते है". हमारी सहाय्यता करने के लिये साक्षात "भगवान" ही इन्सान के रूपमे उस समय आये थे और शादी जुटानेमे माध्यम बनते हुये, मेरे दोनो छोटे भाईयों के संबंध भी बना गये. और अब देखिये, उन दोनो भाईयों की शादी की प्राॅपर यादें.......              प्यारे पाठको, आपको यह बताते हुये मुझे हर्ष हो रहा है की, मेरे दोनो छोटे भाईयों की शादी ईश्वर कृपा से अब होने जा रही है. अब मै साल 1985 की मई माह की यादों मे प्रवेश करने जा रहा हूँ. चलिये. .....              अब हमारे ...

मेरी यादें (Meri Yaden) :- भाग 108 (एक सौ आठ) : दो छोटे भाईयों की शादी मैने कैसे निपटाई? (1985 के दरम्यान घटी सत्य घटनाओ की यादें) (Part Two)

              मेरी यादें (Meri Yaden) :- भाग 108 (एक सौ आठ) : दो छोटे भाईयों की शादी मैने कैसे निपटाई? (1985 के दरम्यान घटी सत्य  घटनाओ की यादें) (Part Two)                        प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हम ने देखा की, मेरे दोनो भाई के लिये हम परिवार के सब लोग सबंध ढुंडते ढुंडते परेशान हो गये थे. इस बारेमे हमारे रिस्तेदार भी चिंतित होने लगे थे. परिवार का कर्ता पुरुष होने के नाते, अब मुझे ही इन सवालो के जबाब ढुंडने थे. प्यारे पाठको, इसके लिये मैने क्या क्या जुगाड जुटाये, इस बारेमे की यादों के बारेमे कृपया अब आप आगे पढीये.             मेरे दोनो छोटे भाईयों के शादी की उम्र निकलने लगी थी. अब मुझे ही आगे बढकर दोनो भाईयों  के "हात पिले" करा देने थे. सबसे पहले मै मेरे दोनो मामा लोगों से मिला. लेकिन दोनो ने भी इस बारेमे अपनी अपनी असमर्थता बताई. बादमे मै बहन "पी" के पती (हमारे जिजाजी) जो वहाँ के ही टिचर होने से गाँव समाज मे लोग, उनको अच्छा मानते थे, उनको मिलने...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 107 (एक सौ सात) :- छोटे दो भाईयों की शादी मैने कैसे निपटाई ? : (1985 के दरम्यान घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) :- (Part One)

               मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 107 (एक सौ सात) :- छोटे दो भाईयों की शादी मैने कैसे निपटाई ? : (1985 के दरम्यान घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) :-    (Part One)                          प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हम ने देखा की, मेरे बच्चे अब बडे हो गये है. उनको पढा लिखाकर अच्छा नागरिक बनाने के लिये मुझे उन्हे लेकर शहर जाना आवश्यक हो गया था. गाँव मे "युके" के जाने के बाद मेरे विश्वासू मित्रो मे कमी आ गयी थी.  खेती से हुआ नुकसान लगातार बढते ही जा रहा था. इन सब कारणो से अब मेरा मन वहाँ से उचटसा गया था.                                                   लेकिन इसके पहले, दो साल पुर्व घटी, कुछ रोचक घटनाये, हमे फिरसे याद आने लगी है. जिन्हे हम भुलसे गये थे. वे रोचक सी यादें अब नजरोमे आने लगी है. उन्हे  छोडकर आगे बढना हमारे लिये...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 106 (एक सौ छह) :- "युके" के बाद, नियती के फेरेमे फँसकर, मैने लिया गाँव छोडनेका निर्णय......( 1987 मे घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें ) (Part One)

                 मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 106 (एक सौ छह) :- "युके" के बाद, नियती के फेरेमे फँसकर, मैने लिया गाँव छोडनेका निर्णय......( 1987 मे घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें ) (Part One)                        प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हम ने देखा की, "युके" के जाने के बाद, उनके जैसा होनहार दोस्त मुझे मिलना कठीन हो गया था. उनकी जगह कोई दुसरा व्यक्ती नहीं ले सका था. एक दो लोग जो भी मेरे पास मे थे, उनमे "युके" जैसी सुझ बुझ मुझे दिख नही रही थी. पिछले दो सालोमे बरसात कम होने से, हमारी खेती बाडी की फसलो से  लगायी लागत निकलना भी मुश्किल हो गया था. "युके" के बाद, गाँव मे मुझे हिंमत देने वाले इने गिने ही दोस्त बचे थे. ऐसा समझो की, जीवन की लढाई , मुझे अब अकेले ही लढनी पड रही थी. और अब हम देखेंगे, इसके बाद की घटी घटनाओ की मेरी यादें.               मेरी बडी बेटी "एम" ने उन दिनो, ट्वेल्थ की एग्झाम बहूत ही ऊँचे नंबरो से पास कर लियी थी. बाकी छ...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 105 (एक सौ पाँच) :- मेरी जिंदगी में आया अचानक एक नया मोड ..... (1984-85 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part One)

                                     मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 105 (एक सौ पाँच) :- मेरी जिंदगी में आया अचानक एक नया मोड ..... (1984-85 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें)   (Part One)                         प्यारे पाठको, पिछले भागमे हमने देखा की, मेरे प्रिय मित्र "युके" स्वर्गवासी हो गये. उनके जाने से मेरे जिवन मे  उदासीनता आनेमे देर नही लगी. मेरा एक हात मुझे छोड कर चला गया था. "दो जिस्म एक जान" वाले प्रिय मित्र की जगह लेने वाला दुसरा कोई, मुझे ढुंडने से भी नही मिल रहा था.  कुछ लोगो से मेरी दोस्ती भी हुयी, लेकिन उनमे "युके" जैसी बात नही थी. अब हम देखेंगे, बादमे  घटी कुछ घटनाओ के बारेमे की रोचक बाते.              "युके" का जाना, मेरे लिये बहूतही दुखदायी साबित  हुआ. समस्याओ के हल ढुंडना अब मेरे लिये कठीण तम हो गया था. मेरे निर्णयो पर, टिका टिपनी ...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 104 (एक सौ चार) : नियती के फेरे मे फसे मेरे मित्र "युके" ने लियी एगझिट और कह गये "अलबिदा दोस्त" : (1982-83 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) ( Part Two)

            मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 104 (एक सौ चार) : नियती के फेरे मे फसे मेरे मित्र "युके" ने लियी एगझिट और कह गये "अलबिदा दोस्त" : (1982-83 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) ( Part Two)                               प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हम ने देखा की, उस दिन, मै सोसायटी के ऑफिस मे मिटींग कर रहा था. तभी उसी समय, पोस्ट मॅन बाहर रूकते हुये मेरे ही तरफ देख रहा था. वह मुझे इशारे से ही बाहर बुला रहा था. मुझे कुछ अनहोनी बातकी आशंका हुयी और मै त्वरित उठकर उसके पास पहूँच गया था. और अब हम देखेंगे, आगे की घटनाओ के बारेमे......              मै जब पोस्ट मॅन "एच" के पास बाहर पहूँचा और क्या बात हुयी ?, यह  जब उससे पुछा तो, वह कुछ बताने की हिंमत  नही जुटा पा रहा था. उसके इस तरह के अबोलेपन से मुझे और भी घबराहट होने लगी. मैने पोस्ट मॅन "एच" की हिंमत को बढाते हुये, उसे घटना के बारेमे जल्दी से बताने को कहा, तब कहीं उसने रूक ...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 103 (एक सौ तिन) :- मेरी यादोंने दिलायी मुझे, मेरे बचपन के "गुरू पौर्णिमा" पर्व की यादें : ( 1955 के बाद की, घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part One)

            मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 103 (एक सौ तिन) :- मेरी यादोंने दिलायी मुझे, मेरे बचपन के "गुरू पौर्णिमा" पर्व की यादें : ( 1955 के बाद की, घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part One)                  प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हमने देखा की, मेरे प्रिय मित्र "युके" की पत्नी को बेटा हुआ. लेकीन दिमागी कमजोरी के कारण हुये बिमारी से उनकी पत्नी का तिन माह के अंदर मे ही स्वर्गवास हो गया. इस घटना मेरे मित्र "युके" अंदर ही अंदर टुट से गये थे. वे मुझे हरदम चिंतित भी दिखने लगे थे. और अब इसके बाद की घटनाओ को, हम बारी बारी से आपको आगे बताते जायेंगे.             आज के "गुरु पौर्णिमा" पर्व पर, मेरे बचपन की कुछ घटनाओ को हम आपके सामने पेश करना चाहेंगे.               जब मै, सात आठ साल के उम्र का था, तब से मेरे जिवनमे घटी हुयी घटनाये मुझे अच्छी तरह याद है. मै तब कक्षा पहली दुसरी मे पढता था. मेरे घरमे सब त्यौहार सबके लिये होते थे. उन त्यौहारो मे अच्...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 102 (one Hundred Two) :- नियती के फेरेमे फसे मेरे मित्र "युके" और लियी एगझिट.... (1982-83 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) ( Part One)

             मेरी यादें  (Meri Yaden) : भाग 102 (one Hundred Two) :- नियती के फेरेमे फसे मेरे मित्र "युके" और लियी एगझिट.... (1982-83 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें)           ( Part One)                       प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हमने देखा की, मेरे प्रिय मित्र "युके" की घरवाली ने बेटे को जन्म दिया. मायके वालोने उसे बच्चे के साथ "युके" के घर दस पंधरा दिनो मे ही वापसी भेज दिया था.  "युके" के घर वह, बडी बेफिकिरी के साथ रह रही थी. जैसे उसकी डिलिवरी हुयी ही नही. बेटे की तरफ बडी मुश्किल से ध्यान देती थी. और अब आगे....              "युके" ने भी उसे, बचके रहने के लिये लाख समझाया. मोहल्ले की महिलाओ ने भी उसे अगली कठिनाईयाँ समझायी. फिरभी वह, वही काम करते रही. आखिर "युके" ने भी उसे इस बारेमे, बोलना छोड दिया. आठ दस दिनो के बाद, एक दिन अचानक ही "युके" ने मुझे उनके पत्नी की तबियत बिघडने के बारेमे बताया. मै...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 101 (One Hundred One) :- मेरे प्रिय मित्र "युके" ने लियी अचानक एगझिट : (1982-83 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part Two)

            मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 101 (One Hundred One) :- मेरे प्रिय मित्र "युके" ने लियी अचानक एगझिट : (1982-83 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part Two)                         प्यारे पाठको, पिछले भागमे हमने देखा की, मेरे प्रिय मित्र "युके" की शादी हो गयी है. शादी होकर एक महिना बित गया है. "युके" को घरवाली के बारेमे कुछ प्रॉब्लेम होने लगे थे. जिसे छुडाने के भरसक प्रयत्न हम लोग कर रहे थे. अब मेरी यादोंमे, आगे क्या हुआ यह अब हम जानेंगे.               "युके" की घरवाली "दिमागी बिमारी" से ग्रस्त होने से उन दोनोमे कोई विशेष  "बोलचाल" नही होती थी. वह दस मिनिट का काम, घंटो तक करते रहती. खुद के शरीर की और घरकी साफ सफाई पर भी कोई ध्यान नहीं देती थी. उसके साथ वार्तालाप करने के बाद किसी के भी समझमे यह बात जल्दी ही आती थी. "युके" का संबंध फिक्स करने मे मै भी था और प्रिय मित्र का दिल ना दुखे इस विचार से मै कुछ दिन चुप ही रहा. लेकी...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 100 (Hundred - सौ) :- मेरे प्रिय मित्र "युके" ने लियी अकस्मात् एगझिट ......(1982-83 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part One)

              मेरी यादें  (Meri Yaden) : भाग 100 (Hundred - सौ) :- मेरे प्रिय मित्र "युके" ने लियी अकस्मात् एगझिट ......(1982-83 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें)  (Part One)                           प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हमने देखा की, मेरे घर बेटे का जन्म हुआ है. मेरी खुशी की कोई सिमा नही रही थी. मैने सोसायटी के दो संचालको को पुणे के सहकारी परिषद के लिये भेज दिया था. इस कारण, अब मै थोडा निश्चिंत सा हो गया था. और अब आगे की घटी कुछ रोचक घटनाओ के बारेमे जानेंगे.              प्यारे पाठको, हमारी पिछली यादों के संस्करणो मे, गाँव के ही, मेरे एक प्रिय मित्र "युके" के बारेमे कई बार जिक्र आया है. उनका मेरा संपर्क, मेरे बचपन से ही चलते आया था. उनके पिताजी शुरूमे मेरे गुरूजी रहे थे. उनका रहना मेरे बडे पिताजी के मकान मे ही था. बडे पिताजी ने उन लोगोसे कभी मकान का किराया नही लिया. उस जमाने मे खाली मकान किराये पर नही दिये जाते. इन्सा...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 99 (Ninety Nine) :- आरोग्य मंदिर गोरखपूर से गाँव वापसी आनेके बाद मुझे क्या दिखा ? (1981के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part One)

            मेरी यादें  (Meri Yaden) : भाग 99 (Ninety Nine) :- आरोग्य मंदिर गोरखपूर से गाँव वापसी  आनेके बाद मुझे क्या दिखा ? (1981के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें)   (Part One)                     प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हमने देखा की, "छब्बिस जनवरी" का "राष्ट्रीय त्योहार" आने वाला था. आरोग्य मंदीर मे मुझे और मेरे दोनो महाराष्ट्रीयन मित्रो को घर वालों की यादें बहूत सता रही थी. आरोग्य मंदिर का रूटीन कार्य भी, हम तिनो के समझमे आ गया था. इस कारण हम तिनो महाराष्ट्रीयन मित्रो ने गाँव वापसी जाने का निर्णय लेकर अपने अपने गाँव के लिये रिटर्न हो गये थे. और अब आगे की घटनाये , मेरी यादोंके के माध्यम से, हम आगे  देखेंगे.               गाँवमे वापिस आने पर मुझे बडा ही अच्छा लग रहा था. घर के लोग मेरे आने से खुश हो गये थे. गाँव मे रहने वाले मेरे दोस्त और पाॅलिटीकल साथी भी, मेरी राह देख रहे थे. उन दिनो, आज के जैसे मोबाईल फोन नही थे और चिठ्...