मेरी यादें (Meri Yaden) :- भाग 63 (त्रेसष्ठ) : मेरे देश की पी एम ने जब स्कूल ग्राउंड पर भाषण दिया था : (1971 के दरम्यान की सत्य घटनाओ पर आधारित घटी हुयी घटनाये.) (Part Two) प्यारे पाठको, पिछले भाग मे मेरी यादों के माध्यम से हमने देखा की, मुझे और "युके" को बैलगाडी वालो ने "दो शेर" समझकर हम पर कुल्हाडी से हमला करने की तैयारी कीयी थी. परंतु मैने उन गाडी वालो को आवाज देकर इंसान होने का जब सबूत दिया तब कही, गाडीवान खुश होते हुये आगे निकल गये. हम दोनो मित्रो के साथ दुर्घटना होते होते टल गयी थी. तब हमने इश्वर को मनःपूर्वक धन्यवाद दिये. आगे घटी घटनाओ को, मेरी यादों के माध्यम से अब हम देखेंगे. नये साल के पहिले दौर मे देश की "पी एम" का "दौरा" हमारे "नोकरी के गाँव" होनेका निश्चीत हुया था. हमारे स्कूल के ग्राउंड मे कार्यक्रम की तैयारी मे प्रशासन के लोग लगे थे. हमारे स्कूल के तरफ से हम दो टिचर मित्रो पर बच्चों के योगा "प्रात्यक्षिक" कार्यक्रम की जिममेदारी दियी गयी थी. हम दोनो मित्रो ने स्कूल के मजबूत और होनहार बच्चों की टिम को लेकर तैयारी शुरू कर दियी. हर दिन दोपहर हमे बच्चों को "कार्यक्रम" की दृष्टीसे तैयार कराना था. जिसे हम भली भाती अच्छे से निभा रहे थे.
देश की "पी एम" के कार्यक्रम से हमारे नोकरी के गाँव का "काया पालट" होना शुरू था. हमारे स्कूल ग्राउंड के ठिक सामने फाॅरेस्ट की जमिनपर "हेलिपॅड" बनाया जा रहा था. फाॅरेस्ट नाके से लेकर गाँव के बाहर "एम पी" जाने वाले रास्ते तक नये से सडक बनवाना शुरू था. सरकारी ऑफिसेस की "रंग रगोटी" करने मे स्पीड आ गयी थी. गाँव मे नये लोगोंकी चहल पहल बढ गयी थी. "पी एम" को देखने की हर एक के मनमे चाहत थी. गाँव के हर घरोमे मेहमानो का आना सुरू हो गया था. बाजार मे की भिड और सब्जीयो की "खपत" भी बढ गयी थी. गाँव के भोजनालयो मे भिड बढ रही थी. हम दोनो मित्र बच्चों के परफेक्टनेस के तरफ ध्यान दे रहे थे. हमारी पूरी कोशिश यही थी की, हमारे व्दारे होने वाला कार्यक्रम उत्कृष्ठ हो. हमे स्कूल के बँड वालोकी साथ थी. मेरी तरफ कार्यक्रम के नियोजन और सुपरविजन का काम था. इस कारण मै हर एक्शन के तरफ बारिकीसे नजर रखे हुये था और सुधार कराता था. आखिर वह दिन भी आ गया जिस दिन की राह हर इंसान देख रहा था. पूरे तहसिल के लोगोमे "पी एम" को देखनेकी लहरसी दौड रही थी. सब चारो दिशाओ से लोग आकर हमारे स्कूल ग्राउंड पर भाषण सुनने के लिये अपनी जगह फिक्स कर रहे थे. "पी एम" के आनेका समय ग्यारह बजे दिया था. सो स्कूल के बच्चों को सुबह नऊ बजे ही हम लोगोने ग्राउंड पर बुलाया था. स्टेज के बाजूमे नजदिक ही हमारा कार्यक्रम हमे कर दिखाना था. हमारा पूरा ग्रुप रेडी पोजिशन मे था.
"पी एम" साहिबा का हेलिकॉफ्टर साडे ग्यारह बजे हमारे उपर आसमान मे चक्कर लगाने लगा. सब जनता की नजरे "उडते हुये" हेलिकाॅफ्टर को निहार रही थी. एक दो मिनट के चक्कर लगाने के बाद हेलिकॉप्टर गायब सा हो गया. हेलिपॅड पर उतर कर "पी एम" साहिबा खुले जिपमे सवार होकर जनता से मिलने आ रही थी. रास्ते के दोनो तरफ जनजातिय जनता का जैसे "सैलाब" आया हुआ था. जिधर देखो उधर जन सैलाब ही दिख रहा था. "पी एम" साहिबा जिपमे से जनता का, पासके फुलोके हारोसे अभिवादन करते हुये स्टेज की तरफ बढ रही थी. स्टेजपर पहूँचते ही सर्व प्रथम आदिवासी जनजातिय नृत्य प्रकारो से "पी एम" साहिबा का स्थानिक प्रशासन की ओरसे स्वागत किया गया. उसके बाद हमारे डेमाॅनट्रेशन का नंबर लगा. जिसे हम दोनो मित्रो ने बखुबी अच्छी तरह निभाया था. अब बारी थी भाषणो की. हमारे जनजातिय विभाग के राज्यमंत्री साहब का सर्व प्रथम प्रस्तावना भाषण हुआ. उनके ही अथक प्रयत्नो से "पी एम" साहिबा का दौरा हमारे नोकरी के गाँव मे फिक्स किया गया था. उस समय राज्यमंत्री महोदय की स्थानिय प्रशासन पर बहूतही अच्छी पकड थी. साथमे मुख्यमंत्री साहब से उनके अच्छे संबंध भी थे जिसका परिणाम जनता को मिल रहा था. जनता ने मन ही मनमे उन्हे अपना हिरो मान लिया. उस जनजातिय विभाग मे जब भी कोई समस्या खडी होती राज्यमंत्री महोदय का शब्द अंतीम माना जाता था. वे हमारे जिलेके एकमेव मंत्री थे. यह भी एक कारण था.
To be continued..........🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
धन्यवाद.
श्री रामनारायणसिंह खनवे.
परसापूर. (महाराष्ट्र)
(प्यारे पाठको एक विशेष घटना को लेकर कल हम फिर मिलेंगे.)
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