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"मैने जिना सिख लिया" (1) मेरी यादे" से जुडी जिवन की सच्ची घटनाये. भाग 1(वन)

           मेरे प्यारे मित्रो, इस धरती पर जिसने भी जन्म लिया, वह मनुष्य प्राणी उनके लाईफ को अपने अपने तरिके से ही जिते रहते है. हमारे जिवन के, दिन ब दिन बढते हुये आयु को हम पूरा कर लेते है. कोई भी इससे छुटा नही और कभी छुट भी नही सकेगा. इन बातोसे हर इन्सान जानकर भी अनजान सा बना रहता है. क्योंकी वह, इन बातो से दुःखी नही होना चाहता.             परंतु मेरी "ममेरी बडी बहन" जिसका अभी अभी दस दिन पहले स्वर्गवास हो गया, वह अनपढी रहकर भी हम सब को, "जिंदगी जिने" की सिख देकर स्वर्ग को सिधार गयी. किसी को भी उसने इन बातो की, कभी भनक भी नही आने दियी. मै जब उसके बारे मे सोचता हूँ तो, मुझे मेरे और उसके बचपन के उन दिनो की याद आने लगती है, जब उसकी उम्र  सात आठ साल की और मेरी चार पाँच की होगी. उस समय मुझे छोटी दो बहने थी. एक की उम्र तीन साल की तो दुसरी एक साल की होगी. उन दिनो मेरे घरमे बच्चों की देखभाल के लिये कोई भी बडा बुजुर्ग सहाय्यक  नही था. मेरी इस बडी ममेरी बहन की बचपन मे ही माँ गुजरने के कारण, मेरी माँ उसे अपने साथ, घर ले आयी...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 96 (Ninety Six) :- आरोग्य मंदिर गोरखपूर मे मुझे क्या देखने को मिला ? (1981 के दरम्यान की घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें ) (Part Two)

              मेरी यादें  (Meri Yaden) : भाग 96 (Ninety Six) :- आरोग्य मंदिर गोरखपूर मे मुझे क्या देखने को मिला ? (1981 के दरम्यान की घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें )  (Part Two)                प्यारे पाठको, पिछले भागमे हमने देखा की, आरोग्य मंदिर गोरखपूर मे मेरी दिनचर्या शुरू हो गयी है. बिचमे "बारा से तिन" के दरम्यान ही थोडा विश्राम मिल जाता था. हमारा इलाज, हमारे ही हातो से किया जा रहा था. साथमे उससे मिले अनुभवोसे ज्ञान की प्राप्ती भी हो रही थी. वहाँ आये हुये, हम सब सदस्य समाधानी थे. आगे वहाँ पर मुझे क्या क्या देखने मिला इसके बारेमे की जानकारी अब हम देखेंगे.               जनवरी का महिना होने से उस समय, गोरखपूर मे "हद" से जादा थंड पड रही थी. मैने गाँव से नया ब्लांकेट साथ मे ले आया था. लेकिन उसे ओढने के बादभी मुझे रातभर थंड ही लगती थी. आखिर मुझे वहाँ के लोकल मार्केट से रजाई खरिदकर लानी ही पडी, उसके बादसे ही मेरी निंद, अच्छे से होने लगी.  वैसेभी दिनके दो बज...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 95 (Ninety Five) :- आरोग्य मंदिर गोरखपूर मे मुझे क्या देखने को मिला ? (1981 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) ( Part One )

              मेरी यादें  (Meri Yaden) : भाग 95 (Ninety Five) :- आरोग्य मंदिर गोरखपूर मे मुझे क्या देखने को मिला ? (1981 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें)      ( Part One )          प्यारे पाठको, पिछले भागमे हमने देखा की, मै इलाहाबाद से सुबह मे ही आरोग्य मंदिर गोरखपूर पहूँच गया. वहाँ मुझे रूम मिल गयी. जिसमे नायडू नामके सहयोगी के साथ मुझे रहना था. हम दोनोमे अच्छी दोस्ती हो गयी थी और बाकी  शेष बातो को हम आगे देखेंगे.               जिन बातोके मैने कुछ दिन पहले तक सपने देखे थे, उन सब बातो को मै "आरोग्य मंदिर गोरखपूर" मे प्रत्यक्ष देख सुन रहा था. मनुष्य जिवनमे ऐसा बहूत ही कम बार होता है की, वह जिस बातकी कल्पना करे और प्रत्यक्ष मे उसे वह बात मिल जाये. परंतु इस बातके लिये मै भाग्यशाली था की, मुझे वह सब ज्ञान वर्धक बाते, अनुभव के साथ देखने सुनने को मिली. आरोग्य मंदिर गोरखपूर के मुख्य संयोजक श्रीमान व्ही.जी. मोदी साहब थे. जिन्होने अपने खुद पर आजमाये ज्ञा...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 94 (Ninety Four) :- मै आरोग्य मंदिर गोरखपूर क्यों और कैसे पहूँचा ? (1080-81 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part Three)

                 मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 94 (Ninety Four) :- मै आरोग्य मंदिर गोरखपूर क्यों और कैसे पहूँचा ? (1080-81 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें)     (Part Three)             प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हमने देखा की, मै इलाहाबाद रेल्वे स्टेशन पर पहूँचा. गोरखपूर की गाडी आनेमे अभी सात आठ घंटे की देर थी. इस लिये मै "प्रतिक्षालय" के एक कोने मे आराम करने लगा. तभी चार पुलीस वालो ने मुझे जगाकर पुछताछ शुरू कियी और वे मुझे "चोर उचक्का" समझकर "लाॅकअप" मे बंद करने की धमकी भी देने लगे. उनकी धमकी को ना घबराकर मैने जब उनके ही नाम और नंबर नोट करने चाहे, तब कहीं उनसे मेरा पिंड छुटा. और अब आगे की घटनाये, मेरी यादो के माध्यम से हम आगे को देखेंगे.              उन चारो पुलीस वालो से अगर मै घबरा जाता तो, वे लोग मुझे "हवालात" मे बंद करके ही दम लेते थे. उनसे मैने खुद को बचा लिया था. मेरे "अंदर की शक्ती" इस समय काम मे आयी थी. मैने मेरा बचाव अच्छे से कर लिया. ...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 93 (Ninety Three) :- मै आरोग्य मंदिर गोरखपूर क्यों और कैसे पहूँचा ? ( 1980-81 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part Two)

              मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 93 (Ninety Three) :- मै आरोग्य मंदिर गोरखपूर क्यों और कैसे पहूँचा ? ( 1980-81 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें)  (Part Two)              प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हमने देखा की, किताबे पढने के मेरे शौक ने मुझे "आरोग्य" मासिक पत्रिका से मिला दिया था. उस पत्रिका मे छपे विचारो से, मै बहूत ही प्रभावित हुआ था. "आरोग्य मंदीर गोरखपूर"  की विशेषताओ को पढकर, मेरे मनमे गोरखपूर जाने की उत्कठ इच्छा हुयी और मै वहाँ जाने के लिये घर से निकल पडा था. और इसके बाद की घटनाओ के बारेमे हम अब आगे को देखेंगे.               "आरोग्य मंदीर" गोरखपूर की विशेषताओ को पढकर मेरे मन मे वहाँ जाने की इच्छा जागृत हुयी थी. क्योंकी मै जिन बातो को इधर ढुंड रहा था, वे सब बाते मुझे वहाँ मिलने वाली थी. "जहाँ चाह वहाँ राह" वाली कहावत मैने सुनी थी. वह कहावत अब "सच" साबीत होती हुये मुझे नजर रही थी. हालांकी उस समय, मै सहकारी सोसायटी का "रिस्पॉन्सिबल चेअ...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 92 (Ninety Two) :- मै आरोग्य मंदिर गोरखपूर क्यों और कैसे पहूँचा ? : (1980-81 के दरम्यान घटी, सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part One)

           मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 92 (Ninety Two) :- मै आरोग्य मंदिर गोरखपूर क्यों और कैसे पहूँचा ? : (1980-81 के दरम्यान घटी,  सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें)       (Part One)              प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हमने देखा की, हम भादुगाँव एम पी मोटार सायकिल से रात के एक देड बजे पहूँचे. वहाँ पर हम दोनो को भरपेट नास्ता मिलने से, रास्ते मे आयी हमारी थकान समाप्त हो गयी थी. अब आगे की घटनाये मेरी यादों के माध्यम से हम अब देखेंगे.              प्यारे पाठको, आपके सामने, मेरी यादों के माध्यम से, "मेरी यादो" में कुछ ऐसी ही घटनाओ को हम पेश कर रहे है. जिन घटनाओ ने मेरे जिवन को एक अलग ही टर्न दिया. मेरे जिवन मे उन घटनाओ के घटित होने के बाद,  कुछ अनोखे ही मोड आते रहे. उन अनजाने रास्तो का  "पथिक" बन कर मै आगे आगे बढते गया. काटों भरी  जिवन की वे यादें, आज भी मेरे शरीर मे "रोमांच" निर्माण करती है. आज मै जो कुछ भी हूँ, उसका सारा श्रेय सिर्फ उन्ही काटों भर...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 91 (Ninety One) :- मोटार सायकिल से "भादुगाँव एम पी" रातमे, मै कैसे पहूँचा ?...... (1980 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part Two)

              मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 91 (Ninety One) :- मोटार सायकिल से  "भादुगाँव एम पी" रातमे, मै कैसे पहूँचा ?...... (1980 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part Two)                        प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हमने देखा की, मै और मेरा नागपूर का रिस्तेदार, दोनो ही मोटार सायकिल से रात के वक्त भादुगाँव एम पी जाने निकले थे. रास्ता सुनसान, उबळ खाबळ और पथरिला था. जंगल भी घना था. "जंगली जानवरो से सावधान" रहने के बोर्डभी हमे दिख रहे थे. ऐसे स्थिती मे मोटार सायकिल से, जंगल से होते हुये आगे आगे, भादुगाँव के रास्ते से, हम दोनो जा रहे थे. अब आगे.....              हम दोनो उस रात एक दुसरे के "सखा संरक्षक" सब कुछ बन गये थे. क्योंकी, उस वक्त हम दोनो के शिवाय "तिसरे" की कोई गुंजाईश नहीं थी. रात का अंधेरा और सन्नाटा, हम दोनो को भी "डरा" रहा था. हम भी दोनो  "कच्ची गोली" खेले हुये खिलाडी नहीं थे. हमे मालूम था की, अगर हम डर गये ...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 90 (Ninety) :- मोटार सायकिल लेकर भादुगाँव एम पी को रात के वक्त मै कैसे पहूँचा ?.... (1980 के दरम्यान घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part One)

              मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 90 (Ninety) :- मोटार सायकिल लेकर भादुगाँव एम पी को रात के वक्त मै कैसे पहूँचा ?.... (1980 के दरम्यान घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part One)                     प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हमने देखा की, मेरे "मंझले पिताजी" निम के पेड से गिरकर बिमार पड गये. उसी बिमारी से वे हमे छोडकर चल बसे. अब इसके बाद की यादों मे हम देखेंगे..... मैने मोटार सायकिल से "भादुगाँव एम पी" का प्रवास कैसे किया ?              प्यारे पाठको, आपको याद होगा, मैने कुछ दिन पहले मोटार सायकिल खरिदी और उसे "चलाना" भी मैने सिखा. अब मै खुद दोस्तो को लेकर आस पास के गाँवो के काम काज करने लगा था. उन्ही दिनो भादुगाँव के, मेरे एक नजदिकी रिस्तेदार के यहाँ की "तेरहवी" कार्यक्रम का निमंत्रण मुझे मिला. कार्यक्रम एम पी के भादुगाँव मे होनेवाला था. परंतु मै "अकेला" दो ढाई सौ कि. मि. का प्रवास कैसे करता. मेरे "बडे पिताजी" "पचीस तिस" साल पहले उधर "छकडे" बैल गाडीसे जात...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 89 (Eighty Nine) :- मेरे मंझले पिताजी के लिये, एक छोटी सी दुर्घटना बनी जानलेवी ...... (1979-80 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part One)

              मेरी यादें  (Meri Yaden) : भाग 89 (Eighty Nine) :- मेरे मंझले पिताजी के लिये, एक छोटी सी दुर्घटना बनी जानलेवी ...... (1979-80 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें)   (Part One)                             प्यारे पाठको, पिछले भागमे हमने देखा की, मैने मोटार सायकिल चलाना सिखा और  आठ दस दिनो बाद मै खुद के बल पर, गाडी से बाहर गाँव जाने लगा. गाडी पर साथ मे, दोनो मे से कोई एक मित्र मेरे साथ जरूर रहता था. और आगे हम देखेंगे  उन रोचक घटनाओ को, जिन्हे आपने इसके पहले कभी देखा सुना नहीं होगा.  आशा करता हूँ की, आप उन घटनाओ को पढकर एक नये ही आनंद की सैर कर रहे होंगे. अब आगे ........              मेरे छोटे भाई "सिजी" की शादी निपटाकर हम घर परिवार के सदस्य थोडे सुस्ता रहे थे. उन दिनो की शादी का कार्य घरमे निकलने पर परिवार के हर सदस्य पर, थोडा बहूत कामो का भार आ ही जाता था. उस जमाने मे, शादी का पुरा इव्हेंट मॅ...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 88 (Eighty Eight) :- मेरे छोटे भाई "सिजी" की शादी कैसे हुयी ?......(1979-80 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part One)

             मेरी यादें  (Meri Yaden) : भाग 88 (Eighty Eight) :- मेरे छोटे भाई "सिजी" की शादी कैसे हुयी ?......(1979-80 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part One)          प्यारे पाठको, पिछले भागमे हमने देखा की, शुरू मे मेरे पास, एक नयी हरक्युलिस सायकिल थी. मेरे खेती मे मिरची और कपास की फसले अच्छे मुनाफे मे होने से, अब मेरी आर्थिक बाजू मजबूत हो गयी थी. इसी कारण मोटार सायकिल लेने का मेरा विचार हुआ.  मैने जिले के कृषी अधिकारी साहब से, पाँच हजार रूपये मे "येझडी" गाडी का सौदा किया और गाँव के ही एक "रिस्तेदार दोस्त" के साथ जिले के शहर मे जाकर गाडी घर ले आया था. और अब इस के बाद की घटनाओ के बारेमे, मेरी यादों के माध्यम से, हम आगे देखेंगे.                जिवन के शुरू मे ही  "येझडी" मोटार सायकिल खरेदी करके मेरे पारिवारिक जिवन मे, मैने "नये रंग" भरने की कोशिश कियी थी. इसके पहले मैने कभी गाडी को "हात" भी नहीं लगाया था. शुरू मे तो मुझे गाडी चलाना ही सिखना पडा. आठ द...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 87 (Eighty Seven) :- मैने मोटार सायकिल खरिदी और बढाया सम्मान (1979-80 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ की मेरी यादें) (Part One)

            मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 87 (Eighty Seven) :- मैने मोटार सायकिल खरिदी और बढाया सम्मान (1979-80 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ की मेरी यादें) (Part One)            प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हमने देखा की, मै सहकारी सोसायटी का चेअरमन होने से मेरी सोशियल इमेज अच्छी ही बढ गयी. मेरे दोस्तो की संख्या भी बढ गयी और गाँव का माहौल मेरे इर्दगिर्द ही घुमने लगा. अब आगे देखते है, क्या हुआ, यह मेरी यादोंसे हम जानेंगे.              प्यारे पाठको, उन दिनो की यादों मे, मै जब खो जाता हूँ तो, मुझे लगता है की, मेरे जिवन के वे दिन, "स्वर्णिम दिन" थे. गाँव के दोनो संस्थाओ मे पदाधिकारी होने के नाते, मेरा परिचय नये नये लोगोंसे होने लगा था. उनमे अफसरो के माध्यम से खेती के लिये नयी नयी फसले, नये बिज और नये संशोधन की मालुमात मुझे हो रही थी. जिसके प्रयोग मै खेती मे करने लगा. मेरे स्वभाव की अच्छाई देखकर, अफसर लोग भी मुझसे घुल मिल गये थे. उन लोगोंके निगरानी मे, मै नयी नयी उन्नत फसले, खेती मे लेने लगा था. जिस...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 86 (Eighty Six) :- सहकारी सोसायटी के सचिव ने किया मुझे फसाने का प्रयत्न........ ( 1977-78 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part One)

             मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 86 (Eighty Six) :- सहकारी सोसायटी के सचिव ने किया मुझे फसाने का प्रयत्न........ ( 1977-78 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें)    (Part One)                    प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हमने देखा की, मेरे "अच्छे दिन" आ गये. मेरे प्रिय मित्र "युके" और बुजुर्ग मित्र "एसजे" इन दोनो का भी मुझे सहयोग मिल रहा था. मेरी यादोंमे, अगली घटनाओ के बारेमे हम लोग जानेंगे.             गाँव के सहकारी सोसायटी का, मै जब चेअरमन बना तो, मुझसे लोगो की अपेक्षाये बढ गयी थी. जिसे पुरा करने की मेरी भी नैतिक जिममेदारी बन गयी थी. सहकारी सोसायटी गाँव के किसानो को खेती के लिये "जिला बँक" से कर्जा दिलाने का काम करती थी. साथमे शासन के सहयोग से राशन और कपडे की दुकान भी चला रही थी. दोनो दुकानो की देखरेख चेअरमन के आधिन थी. मै चेअरमन होने के नाते, दोनो दुकानो से हर दिन बिक्री व्यवहारो की दखल लेता था और दोनो से कॅश लेकर, उसी दिन सोसायटी के "...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 85 (Eighty Five) :- बुजुर्ग पाॅलिटीकल मित्र से मेरी दोस्ती कैसे हुयी ? (1977-78 के दरम्यान घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part One)

            मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 85 (Eighty Five) :- बुजुर्ग पाॅलिटीकल मित्र से मेरी दोस्ती कैसे हुयी ? (1977-78 के दरम्यान घटी  सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें)  (Part One)                   प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हमने देखा की, मै गाँव के सहकारी सोसायटी का चेअरमन बन गया हूँ. इधर ग्राम पंचायत मे भी सदस्य बन चुका हूँ. दोनो संस्थाओ मे मेरा  "बोलबाला" चल रहा है. "मै चाहूँ वो पुर्व दिशा" वाली बात हो रही थी. अब आगे, मेरी यादों के माध्यम से मुझे याद आने वाली, अगली घटनाओ के बारेमे हम देखेंगे.              प्यारे पाठको, जैसा की इसके पहले हमने देखा की, मै सहकारी सोसायटी का चेअरमन होने के नाते, मेरा सब कुछ "हराभरा" चल रहा था. फिरभी साथमे, कुछ हित चिंतक मेरे "विक पाॅईंट" ढुंडने का काम भी कर रहे थे. उनकी बाते सुनकर, मै चौकन्ना रहने लगा था. मै चेअरमन के उस कार्य को जितना सहजता से ले रहा था, उतना वह कार्य सिधा नहीं था. "दस से पाँच" नोकरी की ड्युटी करना अलग बात...

मेरी यादें (Meri Yaden) भाग : 84 (Eighty Four) :- सोशियल वर्क मे, अगले लक्ष पर मै कैसे पहूँचा? (1976/77 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part One)

           मेरी यादें (Meri Yaden) भाग : 84 (Eighty Four) :-  सोशियल वर्क मे, अगले लक्ष पर मै कैसे पहूँचा? (1976/77 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें)  (Part One)                              प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हम ने देखा की, मै गाँव मे "कृषक चर्चा मंडल" का चेअरमन बन गया हूँ. "चर्चा मंडल" का कार्यालय "ग्राम पंचायत भवन" मे ही रखा गया था. इसी निमित्त्य से शासकीय अफसरो से मै मिलना जुलना भी रहा था. अब मै गाँव के लोगो की नजरो मे "महत्त्वपूर्ण" व्यक्ती बन गया था.  और इसके बाद की क्या घटनाये घटी, उन सब के बारेमे मेरी यादो के माध्यम से हम आगे मे जानेंगे.            उन दिनो खेती के अतिरिक्त मेरे पास दुसरे काम न होने के कारण, गाँव के कुछ पुराने "पाॅलिटीकल  बुजुर्गो" से मैने मिलना जुलना शुरू कर दिया था. उनके पिछले अनुभवो को मै सुनता था. जिससे  आगे के निर्णय लेने के लिये मुझे सुगम राह मिलती रहे. हमारे गाँव मे खेतीहर...

मेरी यादें (Meri Yaden) :- भाग 83 (Eighty Three) : मैने किया गाँव मे सोशियल वर्क का श्री गणेशा (1975/76 मे घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part One)

              मेरी यादें (Meri Yaden) :- भाग 83 (Eighty Three) : मैने किया गाँव मे सोशियल वर्क का श्री गणेशा (1975/76 मे घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें)                 (Part One)                 प्यारे पाठको, पिछले भागमे "मेरी यादोंके" माध्यम से हमने देखा की, गाँव मे घटी घटनाओ के साथ ही "पी" दीदी की "दुसरी शादी" "मास्टर जी" के साथ हो गयी. जिसके बाद,  मेरे परिवार की रंगत बदलनी शुरू हो गयी थी. अब मेरा अगला "मिशन" भी मुझे दिख रहा था, जिसके बारेमे हम आगे समुचा जानेंगे ही.               गाँवमे आने के बाद, मेरे जिवन और सोच मे "जमिन आसमान" का अंतर आ गया था. गाँव मे रहने के बाद मेरे घर परिवार के प्रश्न, उसी तरह खेती बाडी और गाय बछेडे भी मेरे दिनचर्या के भाग बन गये थे. दिन निकलते ही मेरा पहला ध्यान, "बाडगे" की स्थिती को जानना होता था. "बाडगे" मे रहने वाली "जाने" मेरे मित्र, माँ बहनो जैसी बन गयी थी. उनमे कोई "भुखा प्यासा" तो नही...