संदेश

मार्च, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

"मैने जिना सिख लिया" (1) मेरी यादे" से जुडी जिवन की सच्ची घटनाये. भाग 1(वन)

           मेरे प्यारे मित्रो, इस धरती पर जिसने भी जन्म लिया, वह मनुष्य प्राणी उनके लाईफ को अपने अपने तरिके से ही जिते रहते है. हमारे जिवन के, दिन ब दिन बढते हुये आयु को हम पूरा कर लेते है. कोई भी इससे छुटा नही और कभी छुट भी नही सकेगा. इन बातोसे हर इन्सान जानकर भी अनजान सा बना रहता है. क्योंकी वह, इन बातो से दुःखी नही होना चाहता.             परंतु मेरी "ममेरी बडी बहन" जिसका अभी अभी दस दिन पहले स्वर्गवास हो गया, वह अनपढी रहकर भी हम सब को, "जिंदगी जिने" की सिख देकर स्वर्ग को सिधार गयी. किसी को भी उसने इन बातो की, कभी भनक भी नही आने दियी. मै जब उसके बारे मे सोचता हूँ तो, मुझे मेरे और उसके बचपन के उन दिनो की याद आने लगती है, जब उसकी उम्र  सात आठ साल की और मेरी चार पाँच की होगी. उस समय मुझे छोटी दो बहने थी. एक की उम्र तीन साल की तो दुसरी एक साल की होगी. उन दिनो मेरे घरमे बच्चों की देखभाल के लिये कोई भी बडा बुजुर्ग सहाय्यक  नही था. मेरी इस बडी ममेरी बहन की बचपन मे ही माँ गुजरने के कारण, मेरी माँ उसे अपने साथ, घर ले आयी...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 82 ( Eighty Two) :- मेरे घर और परिवार को कैसे दिया मैने नया मोड ? (1975/76 के दरम्यान घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part Two)

             मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 82 ( Eighty Two) :- मेरे घर और परिवार को कैसे दिया मैने नया मोड ? (1975/76 के दरम्यान घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part Two)                      प्यारे पाठको, पिछले भागमे हमने देखा की, मेरी "पी" बहन की दुसरी शादी करने  का "निर्णय" परिवार के लगभग सभी सदस्यो को मान्य था. मेरे जिगरी दोस्त "युके" और "पीपी" मामा ने तो इस संबंध के लिये पहले से ही मुझे उनके समर्थन के बारेमे अपनी अपनी राय दे रखी थी. फिर  इसके बाद आगे क्या हुआ यह हम, मेरी यादोंके माध्यम से अब आगे देखेंगे.              मेरी "पी"बहन की पहली शादी पास वाले गाँव के ही सधन परिवार मे हुयी थी. वहाँ उसे एक "कन्या" की प्राप्ती हुयी लेकिन "बदनसिबी" का फेरा उसके आड आया. कुछ न समझते हुये, अनहोनी की गर्त मे, उसे "वैधव्य" को स्विकारने पडा. तबसे "पी" दिदी अपने बेटी के साथ हमारे परिवार मे ही रही थी. अब उनकी लडकी पाँच छह साल की होने से थोडी समझदारी मे आ गयी थी. ...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 81 (Eighty One) :- मेरा घर, मेरे परिवार को कैसे दिया मैने नया मोड ? (1975/76 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादे.) (Part One)

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग  81 (Eighty One) :- मेरा घर, मेरे परिवार को कैसे दिया मैने नया मोड ? (1975/76 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादे.)      (Part One)                         प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हमने देखा की, गाँव आनेके बाद मैने परिवार की "खेती बाडी" के व्यवहार संभाल लिये. उन कामो मे मै मेरे जिगरी मित्र "युके" का सहयोग भी ले रहा था. इसके लिये वह भी पहले से ही तैयार था. अब आगे हम देखेंगे की, इसके बादमे और कौन कौनसी घटनाये घटी? तब तक के लिये, मै मेरी यादोंको भी  ताजा कर लेता हूँ.               प्यारे पाठको, मेरे जिवन के, भुतकाल मे इतनी कुछ अनगिनत घटनाये घटी  की, जिसे अनुक्रम से आपके सामने प्रस्तुत करना मेरे लिये बडा ही दुष्कर और कठीण सा  कार्य बन गया  है. फिरभी मेरी पुरी  कोशिश यही रहेगी की, आपके सामने, घटे हुये घटनाक्रम को सुची बद्दतानुरूप ही पेश करता रहूँ. आशा करता हूँ की, आप मेरी अपरिहार्यता को समझ गये हों...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 80 (Eighty) :- मेरा परिवार मेरा गाँव, बस यही मेरी जिंदगी का मकसद ( 1975-76 के दरम्यान घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part One)

मेरी यादें  (Meri Yaden) : भाग 80 (Eighty) :- मेरा परिवार मेरा गाँव, बस यही मेरी जिंदगी का मकसद ( 1975-76 के दरम्यान घटी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादें) (Part One)                                प्यारे पाठको, पिछले भागमे हमने देखा की, मै नोकरी के गाँव से "बिदाई" लेकर गाँव वापिस आ गया था. गाँव मे मेरे परमनंट आने के समाचार से, कहीं कहीं खलबली सी मच गयी. मेरे परिवार के सदस्यो को खुशी हुयी थी. और अब  हम देखेंगे, मेरी यादों के माध्यम से बडी ही रोचक घटनाये.             नोकरी के बंधनो से अब मुझे मुक्ती मिल गयी थी. मेरे माईंड के तनाव का प्रेशर भी कुछ कम हो रहा था. परिवार मे माँ, बहन, भाई के साथ रहने मिलना, मेरे लिये स्वर्ग की तुलनामे कम नहीं था. कुछ लोगोंके लिये "पैसा" ही सब कुछ हो सकता है, लेकीन मै इन विचारो से थोडा दूर ही रहा हूँ. जिवन चलाने के लिये पैसा आवश्यक है. लेकिन "पैसा" ही सब कुछ  नही हो सकता. बहुतांश लोग पैसा कमाने के चक्कर मे इतने फँस जाते है की, व...

मेरी यादें ( Meri Yaden) : भाग 79 (Seventy Nine) :- पारिवारिक "होनी अनहोनी" के "चक्रव्यूह" से निकलने के लिये मुझे कौनसा निर्णय लेना पडा ? : (1975 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादे.) (Part One)

             मेरी यादें  ( Meri Yaden) : भाग 79 (Seventy Nine) :- पारिवारिक "होनी अनहोनी" के "चक्रव्यूह" से निकलने के लिये मुझे  कौनसा निर्णय लेना पडा ? : (1975 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित मेरी यादे.)  (Part One)            प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हमने देखा की, मेरे परिवार मे उस समय आये दुर्दैवी 'भुचाल' से मेरी मानसिकता बहूत ही "डावाडोल" चल रही थी. रातमे निंद से उठकर चलने की बिमारी मुझे हो गयी थी.  मानसिक तौर से मै बहूत ही परेशानी की हालातो से गुजर रहा था. अब आगे की घटनाओ के बारेमे, मेरी यादों के माध्यम से हम अब जानेंगे.                 उन दिनो की हालातो मे   मेरी अवस्था "बद् से बदतर" बन गयी थी. गाँव के घर परिवार की अवस्था तो  "डुबत्या चे पाय डोहात" जैसी चल रही थी. उस स्थिती मे मेरे "परिवार" को बचाना ही, मेरे लिये " आँक्सि जन" के जैसा आवश्यक हो गया था. मै "इधर को जाऊ या ऊधर को," ऐसी स्थिती से मुझे कुछ भी सुझ नहीं रहा था. नोकरी ...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 78 (Seventy Eight) :- पारिवारिक "होनी अनहोनी" के "चक्रव्युह" ने मुझे "भयंकर खाईमे" धकेल दिया......(1974-75 के दरम्यान की घटी, सत्य घटनाओ पर आधारित घटनाये) (Part Three)

            मेरी यादें  (Meri Yaden) : भाग 78 (Seventy Eight) :-  पारिवारिक "होनी अनहोनी" के "चक्रव्युह" ने मुझे "भयंकर खाईमे"  धकेल दिया......(1974-75 के दरम्यान की घटी, सत्य घटनाओ पर आधारित  घटनाये)   (Part Three)                   प्यारे पाठको, पिछले भागमे हमने देखा की, मेरे गाँव परिवार से जब भी, मुझे चिठ्ठी पत्री आती, मेरी चिंता बढ जाती थी. "गाँव घर" मे चल रही घटनाओ के चिंतन से, दिनो दिन मेरी "मानसिकता का खच्चीकरण" हो रहा था. और इसके बाद, आगे की  घटनाये, मेरी यादों के माध्यम से अब हम देखेंगे.               मेरे गाँव घर से जब भी मुझे चिठ्ठी आती, उसमे मेरी चिंता बढाने वाली बाते ही लिखी होती. वहां  के घर हर दिन "कुछ ना कुछ" कहा सुनी होना "रूटीन" वाला काम हो गया था. हो सकता है, इसमे बाहर के लोगो का हात हो. "डुबती नैया" को बचाने वाले बहूत कम होते है.  ज्यादा तर  "आग" भडकाने का ही काम होता है.  मेरे घरवालो के टेंशन से, मे...

मेरी यादें (Meri Yaden) :- भाग 77 (Seventy Seven) :- पारिवारिक "होनी अनहोनी" के "चक्रव्युह" ने मुझे भयंकर खाईमे धकेल दिया. ( 1974-75 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित घटनाये) (Part One)

मेरी यादें (Meri Yaden) :- भाग 77 (Seventy Seven) :-  पारिवारिक "होनी अनहोनी" के "चक्रव्युह" ने  मुझे भयंकर खाईमे  धकेल  दिया.  ( 1974-75 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित घटनाये)    (Part One)                         प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हमने देखा की, मेरे बडे पिताजी और बडे भाई साहब का लडका,  इन दोनो का "अक्षय तृतीया" के "एक ही दिन" दुःखद निधन होने से, उस समय मेरे परिवार पर "दुःखो का पहाड" सा टूट पडा था. बडे मुश्किल से इस दुःखद घडी को मेरा परिवार संभाल सका था. एक ही दिन परिवार मे इस तरह की दुःखद घटना का होना, भयानक "बद नसिबी" का फेरा माना जा रहा था. और अब, आगे की घटनाओ के बारे मे, मेरी यादो के माध्यम से हम सब जानेंगे.              इसके पहले परिवार मे हुयी, दुःखद घटनाओ को मेरे परिवार ने बडी हिंमत के साथ, सह लिया था. लेकीन अभी की इन घटनाओ ने तो, मेरे परिवार की, जैसी कंबर ही तोड दाली थी. परिवार का हर सदस्य अंदर से "बुझा" सा हो गया थ...

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 76 ( Seventy Six) :- भयंकर विपदाने मेरे परिवार को फिर घेरा..... (1974 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित घटनाये) ( Part Two)

मेरी यादें (Meri Yaden) : भाग 76 ( Seventy Six) :-  भयंकर विपदाने मेरे परिवार को फिर घेरा..... (1974 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित घटनाये)      ( Part Two)                       प्यारे पाठको, पिछले भागमे हमने देखा की, अक्षय तृतीया का दिन था. पितरो की पुजा मे मै बडे पिताजी को लाने उनके पास जब पहूँचा तो वे हमे छोड कर स्वर्गवासी हो गये थे. इसके बाद की घटनाये मेरी यादों के माध्यम से अब हम देखेंगे.              बडे पिताजी के अचानक हुये दुःखद निधन से हम सबको बहूतही धक्का लगा. घरमे कोहरामसा मच गया था. मोहल्ले मे खबर पहूँचते ही नजदिकी रिस्तेदार आकर हमे सांत्वना देकर चुप करा रहे थे. अक्षय तृतीया के त्योहार के निमित्त बनाया हुआ भोजन जैसा की वैसा धरा पडा था. भोजन करनेकी किसीकी भी इच्छा नही हो रही थी. हमारे परिवार मे यह तिसरी दुःखद घटना थी जिसे सहनेकी ताकद अब किसीमे भी नही बची थी. उसी दिन सुबह सबेरे बडे भाई साहब के बेटे के पेट मे दर्द होने पर उसे पासवाले गाँव के प...

मेरी यादें (Meri Yaden) :- भाग 75 (पचहत्तर) : भयंकर बिपदाने मेरे परिवार को फिर घेरा .... (1974 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित घटनाये.) (Part One)

              मेरी यादें (Meri Yaden) :- भाग 75 (पचहत्तर) : भयंकर  बिपदाने मेरे परिवार को फिर घेरा .... (1974 के दरम्यान घटी हुयी सत्य घटनाओ पर आधारित घटनाये.)   (Part One)            प्यारे पाठको, पिछले भाग मे हमने देखा की, मैने टुरिंग टाॅकिज का काँट्रॅक्ट कैसे लिया और उसमे मुझे किस प्रकारके अनुभव मिले. शो के मॅनेजमेंट मे सुधार करने पर मुझे किन प्रसंगो का सामना करना पडा, इन सब घटनाओ के बारेमे हमने देखा. अब, इसके बाद की घटनाओ को, "मेरी यादो" के माध्यम से देखने की कोशिश हम करेंगे.              मेरे टुरिंग टाॅकिज का काँट्रॅक्ट समाप्त होने के बाद, मै नोकरी की जगह वापिस जाकर ड्युटी करने लगा. इस दौरान मुझे एक "पुत्र रत्न" की प्राप्ती हो गयी थी. मेरे घर परिवार मे इसके पहले प्रथम "कन्या रत्न" के आगमन पर आयी हुयी "निराशा" हटकर थोडी "रौनक" आ गयी थी. हमारे समाज मे "पूत्र प्राप्ती" होने पर मिठाई बाटकर खुशीयाँ मनायी जाती थी. वहीं पर "कन्या" के आगमन से किसी को कोई ख...