"मैने जिना सिख लिया" (1) मेरी यादे" से जुडी जिवन की सच्ची घटनाये. भाग 1(वन)

           मेरे प्यारे मित्रो, इस धरती पर जिसने भी जन्म लिया, वह मनुष्य प्राणी उनके लाईफ को अपने अपने तरिके से ही जिते रहते है. हमारे जिवन के, दिन ब दिन बढते हुये आयु को हम पूरा कर लेते है. कोई भी इससे छुटा नही और कभी छुट भी नही सकेगा. इन बातोसे हर इन्सान जानकर भी अनजान सा बना रहता है. क्योंकी वह, इन बातो से दुःखी नही होना चाहता.             परंतु मेरी "ममेरी बडी बहन" जिसका अभी अभी दस दिन पहले स्वर्गवास हो गया, वह अनपढी रहकर भी हम सब को, "जिंदगी जिने" की सिख देकर स्वर्ग को सिधार गयी. किसी को भी उसने इन बातो की, कभी भनक भी नही आने दियी. मै जब उसके बारे मे सोचता हूँ तो, मुझे मेरे और उसके बचपन के उन दिनो की याद आने लगती है, जब उसकी उम्र  सात आठ साल की और मेरी चार पाँच की होगी. उस समय मुझे छोटी दो बहने थी. एक की उम्र तीन साल की तो दुसरी एक साल की होगी. उन दिनो मेरे घरमे बच्चों की देखभाल के लिये कोई भी बडा बुजुर्ग सहाय्यक  नही था. मेरी इस बडी ममेरी बहन की बचपन मे ही माँ गुजरने के कारण, मेरी माँ उसे अपने साथ, घर ले आयी...

मै जिंदगी का साथ निभाता चला गया !......

 मै जिंदगी का साथ निभाता चला गया !

             आज मै सत्तरी पार कर चुका हू. जिवनमे मैने जो कुछ  भी चाहा उसे मेहनत से मिलाता रहा हूँ. जिवनमे मै समाधानी दिखता  हूँ.  परंतु यह सिर्फ दुनिया को बतानेके लिये. जब जब भी मै मेरे  अंदरमे  अंतर्मुख होकर झाकता रहता  हूँ  की, क्या यह फूल स्टाॅप है ? हम जिवनमे आनेपर क्या यही सब करना चाहते है ? इसका जबाब हर व्यक्ती अलग अलग देगा. क्योंकी हर किसीका जिवन  जिने के  बारेमे सोचनेका ढंग अलग अलग रह सकता है. मै भी कुछ अलग सोच रखता हूँ. मै जब भी  इस बारेमे चिंतन करता हूँ  तो मुझे बडीही अस॔तुष्टी लगती है. 

              आज तक जो कुछ  भी मैने पाया उसे पाने तक ही मै  स॔तुष्ट हो पाया हूँ. परंतु उसके बाद  फिर वही ढाक के तिन पत्ते. मै फिर जहाँ के वहाँ पहूच जाता हूँ. फिरसे  मेरे जिंदगी की जंग शुरू हो जाती है. मैने कभी पिछे  हट पलट के नही देखा. सामने जो भी आया उसीमेसे अच्छाई ढूंड ढूंड कर उसे मिलाता  रहा. परंतु कभी वो खुशी मिली नही जिसे मै  ढुंडते रहता हूँ.  अभी भी मुझे उसी का इंतजार है.

           पचास  साठ  साल पहले मैने एक फिल्म देखी थी. उसमे हिरो डबल रोल निभाता है. वह एक रोलमे आर्मी आँफिसर और दुसरे रोलमे सिव्हिलियन रहता है. दोनो रोलमे दो बिबिया भी रहती है. उसने  एक ही वक्त मे दोनो  बिबियो के साथ बडेही शानदार ढंगसे रोल निभाके बताया.  पिक्चर हिट रही. आजभी  वह हिरो स्मोकिंग करते करते  गीत गाते हुये  मुझे दिखता रहता है. और यह  वही गीत है. 

            मै जिंदगी का साथ निभाता चला गया..............................................

    श्री. रामनारायणसिंह खनवे. 

                 धन्यवाद.   नमस्कार . 🙏🙏🙏


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